ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मुहूर्त का एक अपना महत्व है। किसी भी शुभ काम को करने से पूर्व लोग अक्सर शुभ मुहूर्त का विचार करते हैं। जिसमे तिथि,वार,नक्षत्र, करण तथा योग आदि से देख कर शुभ मुहूर्त विचार किया जाता है। हमारे ज्योतिष विद्वानों ने गर्भाधान, गृहारंभ, सूतिका स्नान, अन्नप्राशन,मुंडन,विवाह, विद्यारंभ,यात्रा,वधु प्रवेश आदि शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त विचार आवश्यक समझा।
कुछ विशेष शुभ कार्यों के लिए विशेष मुहूर्तों का संक्षिप्त रूप में वर्णन निम्न प्रकार से किया जा रहा है।
विवाह मुहूर्त: मूल,अनुराधा,मृगशिर,रेवती,उतराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़, उत्तराभाद्र,स्वाति,हस्त,मघा,रोहिणी इन नक्षत्रों तथा ज्येष्ठ,माघ,
फाल्गुन,वैशाख,मार्गशीर्ष,आषाढ़ इन महीनो में विवाह करना शुभ है।
इसके अलावा कन्या के लिए गुरु बल, वर के लिए सूर्य बल तथा दोनो के सूर्य बल का विचार भी आवश्यक होता है।
विधारांभ मुहूर्त: मृगशिर,आर्द्रा,पुनर्वसु,हस्त, चित्रा,स्वाति,श्रवण,
धनिष्ठा,शतभिषा,अश्वनी,मूल,तीनो उतरा,पुष्य नक्षत्रों तथा रवि,गुरु,
बुध,शुक्र इन वारों और पंचमी,तृतीया,एकादशी,दशमी,द्वादशी, द्वितीया आदि तिथियों में विद्यारंभ करना अत्यंत शुभ माना गया है।
मुंडन मुहूर्त: जन्म से तीसरे,पांचवे,सातवे या विषम वर्षों में तथा अष्टमी,द्वादशी,नवमी,प्रतिपदा,अमावस्या,पूर्णिमा आदि तिथियों और सोमवार,बुधवार,शुक्र और बृहस्पति आदि वारों में इसके अलावा मृगशिर,रेवती, चित्रा,स्वाति,पुनर्वसु,श्रवण,धनिष्ठा,शतभिषा,हस्त आदि नक्षत्रों में मुंडन करवाना शुभ माना गया है।
कर्ण भेद मुहूर्त: श्रवण,धनिष्ठा,पुनर्वसु,मृगशिर,रेवती, चित्रा,अनुराधा
तथा सोम,बुध,गुरु और शुक्रवार आदि तथा प्रथम, द्वितीया,तृतीया,
पंचमी,सप्तमी,दशमी,एकादशी,द्वादशी, पूर्णिमा आदि तिथियों तथा
जन्म से छठे,सातवें,आठवें महीने में कर्णभेद संस्कार अत्यंत शुभ माना गया है।
गृहारंभ मुहूर्त: मृगशिर,पुष्य,अनुराधा,शतभिषा,चित्रा,हस्त,स्वाति,
रोहिणी,रेवती, तीनों उतरा आदि नक्षत्रों और सोम,बुध,गुरु,शुक्र,शनि आदि वारों तथा द्वितीया,पंचमी,सप्तमी,दशमी,एकादशी,त्रियोदशी,
पूर्णिमाआदि तिथियों में इसके अलावा वैशाख, श्रावण,माघ,पौष और फाल्गुन आदि मास में गृहारंभ करवाना अत्यंत शुभकारी होता है।
यात्रा मुहूर्त: अश्वनी,अनुराधा,पुनर्वसु,मृगशिर,पुष्य,रेवती,हस्त,श्रवण,
और धनिष्ठा आदि नक्षत्र तथा द्वितीया,पंचमी,सप्तमी,दशमी,एकादशी
और त्रियोदशी आदि तिथियां यात्रा हेतु अत्यंत उत्तम मानी गई हैं।
इसके अलावा यात्रा से पूर्व दिशा शूल और चंद्रवास पर भी विचार करना अत्यंत आवश्यक होता है।
ज्योतिषाचार्य पं योगेश पौराणिक (इंजी)
0 Comments