हमारे नक्षत्र मंडल में नारंगी रंग की मणि सरीखा चमकता एक तारा स्वाति नक्षत्र है। स्वाति का अर्थ है शुभ नक्षत्र पुंज। इस नक्षत्र में होने वाली वर्षा को अमृत तुल्य माना जाता है। यदि इस दिन हुई वर्षा के वर्षा के जल को रोगी को दिया जाए तो उसके रोग पीड़ा में कमी आती है। स्वाति नक्षत्र के देवता पवन देव तथा नक्षत्र अधिपति राहु को माना गया है।
स्वभाव: स्वाति नक्षत्र में जन्मा जातक स्वामी भक्त,संकोची,सौम्य प्रकृति का,धैर्यशील,मिलनसार तथा हंसमुख स्वभाव का होता है।
आचार्य वराहमिहिर के अनुसार इस नक्षत्र का जातक शिष्ट,मृदुभाषी,दयावान तथा मातृ पितृ और गुरु भक्त होता है।
कैरियर: इस नक्षत्र में जन्मे जातक कुशल व्यापारी,पायलेट,ड्राइवर,
वकील,न्यायाधीश,खोजी,वैज्ञानिक,संवाददाता,पहलवान,खिलाड़ी,
गुब्बारे तथा पतंग का व्यापार आदि में कैरियर बनाकर सफलता प्राप्त करता है।
रोग: इस नक्षत्र में जन्मे जातकों को वायु विकार, जोड़ों में दर्द,तनाव,
गैस्ट्रिक,साइटिका आदि रोगों से जूझना पड़ सकता है।
उपाय: स्वाति नक्षत्र में जन्मे जातक को माता सरस्वती की पूजा करना सबसे शुभप्रद माना गया है। प्रतिदिन ॐ ऐं ह्री क्लीं सरस्वत्ये नमः मंत्र का जाप 1 माला करना चाहिए। इसके अलावा सभी कष्टों से मुक्ति हेतु हनुमान चालीसा का पाठ करना शुभकारी होता है।
सफेद तथा नीले रंग के वस्त्रों का प्रयोग इन्हे शुभप्रद होता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित योगेश पौराणिक(इंजी)
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