हमारे नक्षत्र मंडल में सौ तारों का एक समूह जिसमे एक तारा काफी चमकदार और बहुत बड़ा है तथा अन्य छोटे तारे उसे घेरे हुए हैं यहीं शतभिषा नक्षत्र है। शतभिषा का अर्थ है “सौ चिकित्सक” या “सौ तारों का एक समूह”। इसका प्रतीक चिन्ह वृत्त को माना है। शतभिषा नक्षत्र के नक्षत्र स्वामी ग्रह राहु तथा अधिपति देवता वरुण को माना गया है।
स्वभाव: शतभिषा नक्षत्र में जन्मा जातक एकांतप्रिय, अंतर्मुखी थोड़ा सनकी ,गुप्त रहस्यों को सुलझाने में माहिर,हंसमुख,उदार,
आशावादी,मिलनसार, तथ्यपरक तथा आध्यात्मिक होता है।आचार्य
वराहमिहिर के अनुसार इस नक्षत्र के जन्मे लोग सत्यनिष्ठ, कटुभाषी,
तथा शत्रुहंता होता है।
कैरियर: शतभिषा नक्षत्र में जन्मा जातक योग गुरु, अंतरिक्ष वैज्ञानिक,ज्योतिषी,इलेक्ट्रीशियन,खोजी,शिकारी,जड़ी बूटी विशेषज्ञ, भौतिक वैज्ञानिक,परमाणु अनुसंधान करने वाला,विज्ञान लेखक,मादक पदार्थों का व्यापारी,प्रशिक्षक,प्लास्टिक उद्योग,शल्य चिकित्सक आदि में अपना कैरियर बनाकर सफलता प्राप्त कर सकता है।
रोग: शतभिषा नक्षत्र ने जन्मे जातक को ज्वर,सन्निपात,हृदय संबंधित रोग,अनिद्रा,गठिया वात तथा पैरो में टेढापन आदि रोगों से जूझना पड़ सकता है।
उपाय: शतभिषा नक्षत्र के जातक को ॐ लं बीज मंत्र का जाप प्रत्येक चतुर्दशी के दिन करना चाहिए तथा भगवान शिव की पूजा करने से इन्हे जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है। नीला,हल्का गाढ़ा रंग शतभिषा नक्षत्र के लोगो के लिए भाग्यशाली होता हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित योगेश पौराणिक(इंजी)
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