उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे जातक का स्वाभाव, कैरियर,रोग और उपाय:


उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में चार तारे है जो हाथी के दांत की भांति नक्षत्र मंडल में दिखाई पड़ते हैं। उत्तराषाढ़ा का अर्थ है अंतिम या बाद में विजय प्राप्ति। इस नक्षत्र के नक्षत्र पति सूर्य तथा देवता दश विश्वदेवों को जिनके नाम कुछ इस प्रकार हैं। शुभता,शिखर,आभा,पितृ, सत्य,इच्छाशक्ति,दक्षता,काल,आकांक्षा और संकल्प को माना गया है। विद्वानों ने पश्चिम दिशा को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र की दिशा मानी है।


स्वभाव: उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे जातक विनम्र,मृदुभाषी,गरिमायुक्त
कृतज्ञ,भाग्यशाली होता है। व्यक्ति धर्मपालक, सदाचारी तथा अनेक मित्रों का सुख पाने वाला, विलासी तथा धनी होता है। ऐसा जातक लक्ष्य के लिए निरंतर प्रयासरत रहता है।

कैरियर: उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे जातक सरकारी कर्मचारी,परमार्थ के कार्य,परामर्श दाता,मनोवैज्ञानिक कार्य,सेना अधिकारी,हाथी पालन प्रशिक्षण,गोला बारूद व्यापार,राजनेता,चिकित्सक,एथलीट,
अध्यापक,क्रिकेटर, बॉक्सर आदि में कैरियर बनाकर सफलता प्राप्त कर सकता है।

रोग: इस नक्षत्र में जन्मे जातक को शरीर का दर्द,कमर दर्द,पीलिया
जोड़ो में दर्द तथा कफ संबंधित बीमारी बनी रहती है।

उपाय: उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे जातक को भगवान गणेश की उपासना करना अत्यंत लाभकारी रहती है तथा गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करना सभी कष्टों से मुक्ति प्रदान करता है। नारंगी,पीला तथा सफेद रंग का प्रयोग इनके लिए भाग्यवर्धक होता है।

ज्योतिषाचार्य पंडित योगेश पौराणिक(इंजी)
 

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