उतरा फाल्गुनी हमारे नक्षत्र मंडल में उपस्थित 27 नक्षत्रों में अपना 12 वां स्थान रखता है। इस नक्षत्र में सिंह राशि के 26°40’ से लेकर कन्या राशि के 10° तक चंद्रमा का गोचर रहता है। उतरा फाल्गुनी का अर्थ है बाद के दो पलंग के पाया। उतरा फाल्गुनी नक्षत्र का स्वामी ग्रह सूर्य तथा नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता अर्यमा हैं।
स्वभाव: उतरा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे जातक धार्मिक,ईमानदार,
बचपन में सुखी,विलासितापूर्ण जीवन जीने वाले,जनप्रेमी, दयालु,पर्यावरण संरक्षण व प्रेमी होते हैं लेकिन कभी कभी ये स्वार्थ पूर्ण कार्य करने वाले तथा धोखेबाज प्रवृत्ति के बन जाते हैं।
कैरियर: इस नक्षत्र में जन्मे जातक चार्टर्ड अकाउंटेंट,सरकारी अधिकारी,गणितज्ञ,कुशल व्यापारी,इंजीनियर,बैंक मैनेजर,फाइनेंस से जुड़े कार्य,सामाजिक कल्याण क्षेत्र,इतिहासकार,स्वर्ण चांदी का व्यापारी,पंडित,कृषि कार्य इत्यादि में सफलता प्राप्त करता है।
रोग: इस नक्षत्र में जन्मे जातकों को लीवर,पेट संबंधित विकार,दांतो के रोग,माइग्रेन,तनाव,महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म जैसे रोगों से जूझना पड़ता है।
उपाय: इस नक्षत्र के जन्मे जातक को भगवान सूर्य की उपासना अत्यंत लाभकारी होती है। इसके अलावा ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करने से इनका मन सदैव शांत रहता है। लाल,सफेद तथा सुनहरे रंग का प्रयोग इनके लिए भाग्यशाली सिद्ध होता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित योगेश पौराणिक (इंजी)
0 Comments