हमारे नक्षत्र मंडल में श्रवण नक्षत्र तीन तारों का एक समूह जिसमे एक बड़ा चमकदार तारा है बाकी की दो कम चमकदार है। वैसे विद्वानों ने श्रवण नक्षत्र को गरुड़ तारामंडल का सदस्य माना है।
श्रवण शब्द का अर्थ है सुनना अथवा ख्याति,श्रावण मास की पूर्णिमा जिसे रक्षाबंधन कहते है उस दिन चंद्रमा इसी नक्षत्र में होता है। श्रवण नक्षत्र के नक्षत्रपति चंद्रमा तथा देवता भगवान विष्णु को माना जाता है। इस नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह भगवान विष्णु(वामन अवतार) के तीन चरण है।
स्वभाव: श्रवण नक्षत्र में जन्मा जातक कार्य कुशल,दूसरो की मदद करने वाला,प्रजापालक,हंसमुख,शांतिप्रिय,आकर्षक तथा मिलनसार होता है। कुछ विद्वानों के अनुसार इस नक्षत्र के जन्मे जातक विद्वान,धन वैभव संपन्न व यशस्वी होते है।
कैरियर: इस नक्षत्र के जन्मे लोग शोधकर्ता,उपदेशक,अध्यापक,
विदूषक,आध्यात्मिक कार्य,संगीतज्ञ,सलाहकार,मनोचिकित्सक,
प्रशिक्षक,डॉक्टर,ट्रैवल एजेंट,रेडियो ऑपरेटर,पर्यटन विभाग से जुड़े काम,होटल या रेस्तरां से जुड़े कामों में सफलता प्राप्त करता है।
रोग: श्रवण नक्षत्र के जन्मे जातकों को कान से संबंधित बीमारी,पैरो से संबंधित रोग,इसके अलावा श्वास और गुप्त रोगों से संबंधित बीमारी परेशान करती है।
उपाय: श्रवण नक्षत्र में जन्मे जातक को भगवान विष्णु की आराधना करना सबसे उत्तम होता है यदि विष्णु सहस्रनाम का पाठ प्रत्येक माह पड़ने वाले श्रवण नक्षत्र पर किया जाए तो सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है। इनके लिए सफेद,पीला तथा नीला रंग भाग्यशाली होता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित योगेश पौराणिक(इंजी)
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