नक्षत्र मंडल में उत्तरभाद्र दो तारों वाला नक्षत्र है। प्राचीन विद्वानों ने उतर भाद्रपद नक्षत्र के दोनो तारो को पलंग के पीछे के दो पैर माना है। उत्तर भाद्रपद का अर्थ है पीछे के शुभ पांव वाला या बाद में सफलता प्राप्त करने वाला। इस नक्षत्र का नक्षत्रपति शनि ग्रह तथा अधिपति देवता अतिर्बुधनय को माना गया है। इस नक्षत्र का संबंध पश्चिम व उत्तर दिशा को जोड़ने वाली चाप माना गया है।
स्वभाव: उतरभाद्रपद नक्षत्र में जन्मे जातक धीर,वीर,गंभीर,मर्यादा का पालन करने वाला ,शांत,संयमी,विशाल देह तथा चौड़े कंधे वाला
चिंतनशील व्यक्ति होते है। आचार्य वराहमिहिर के अनुसार इस नक्षत्र के जन्मा जातक गुणी,धनी ,मानी,भाग्यशाली,विश्लेषण प्रिय तथा प्रसन्नचित होता है।
कैरियर: उत्तरभाद्रपद नक्षत्र में जन्मे लोग योग गुरु,चिकित्सक,
सलाहकार,अन्वेषक,लेखक,संगीतज्ञ,तपस्वी,योगी,प्रबंधन,द्वारपाल
सुरक्षाकर्मी,पुरातत्वेता,दुकान,व्यापारी,कलाकार, अंकशास्त्र आदि के क्षेत्र में अपना कैरियर बना कर सफलता प्राप्त करता है।
रोग: उतर भाद्रपद नक्षत्र के जन्मे लोगो को डायरिया, हर्निया,जोड़ो में दर्द या सूजन की समस्या,पेट से संबंधित रोग होते है।
उपाय: उतर भाद्रपद नक्षत्र के जन्मे जातक को जीवन में कष्टों से मुक्ति हेतु ॐ शं बीज मंत्र का जाप करना चाहिए तथा भगवान विष्णु की उपासना और एकादशी का व्रत करना इनके लिए लाभकारी होता है। पीले तथा नीले रंग का उपयोग इनके लिए भाग्यशाली सिद्ध होता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित योगेश पौराणिक (इंजी)
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