पूर्वाभाद्रपद में जन्मे जातक का स्वभाव, कैरियर,रोग और उपाय:


पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में दो आगे के तारे है जो कि हयशिर तारामंडल के सदस्य हैं। पूर्वाभाद्रपद शब्द का अर्थ है शुभकारी या पहला भाग्यशाली पैरो वाला या कल्याणकारी। इस नक्षत्र को मार्च के पहले सप्ताह में पूर्व से उदय होते देखा जा सकता है। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के नक्षत्रपति देव गुरु बृहस्पति तथा अधिपति देवता अज एकपाद हैं।
इस नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह पलंग के आगे के दो पाए हैं।

स्वभाव: पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के जातक में जन्मा जातक कुछ
क्रूर,हिंसक,धन कमाने में कुशल,ज्ञानी किंतु ढोंग करने वाला न्यायप्रिय,सत्यवक्ता, अनासक्त स्वभाव का होता है।इस नक्षत्र
के जातको का साथ दुख ,संघर्ष, क्लेश नही छोड़ता लेकिन ये अपनी आध्यात्मिक बुद्धि से कुछ हद तक जीवन को संघर्ष मुक्त कर लेते हैं।

कैरियर: इस नक्षत्र में जन्मे जातक मनोविश्लेषक,विष उपचारक,
पंडित, शल्य चिकित्सक, दाह संस्कार कराने वाला पंडा,शव वाहन सेवा,आयुध निर्माण,कचरा का संग्रह कर उसका उपयोग अन्य रूप में करने वाला, बेल्डिंग, फार्जिंग,बेकरी,लोहारी,विषैली गैस,चमड़े का उद्योग,तांत्रिक आदि में अपना कैरियर बना सकते हैं।

रोग: पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के जन्मे लोगो को हड्डी के रोग,पैरो के रोग,लकवा,चर्म रोग,शुगर,तनाव तथा सर से जुड़े रोगो से जूझना पड़ 
सकता है।

उपाय: पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के जन्मे जातक ॐ शं बीज मंत्र का जाप
करना इनके जीवन के कष्टों को कम करने का सबसे अच्छा उपाय है। तथा भगवान शिव की पूजा अर्चना से भाग्य में वृद्धि होती है।
इनके लिए काला,नीला तथा हल्का आसमानी नीला रंग का उपयोग शुभकारी होता है। लेकिन चमड़े की बनी चीजों का उपयोग कतई न करें।

ज्योतिषाचार्य पंडित योगेश पौराणिक(इंजी)

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