चित्रा नक्षत्र हमारे नक्षत्र मंडल का मध्य भाग माना जाता है। यह बहुत ही चमकदार तारे के रूप में दिखाई पड़ता है। इसे विश्वकर्मा या ब्रम्हा जी का निवास स्थान भी माना जाता है। चित्रा शब्द का अर्थ अदभुत या उज्ज्वल चित्र होता है। चित्रा नक्षत्र का प्रभाव कन्या और तुला राशि के जन्मे लोगो पर पूर्ण रूप से दिखाई देता है। इस नक्षत्र के नक्षत्रपति मंगल तथा अधिपति देवता विश्वकर्मा जी को माना गया है। इस नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह मोती या चमकदार हीरे को माना जाता है।
स्वभाव: चित्रा नक्षत्र में जन्मे जातक उत्साही,गतिशील,ऊर्जावान,
सक्षम तथा प्रेम प्रिय होता है। इस नक्षत्र में जन्मे जातक खाली बैठना पसंद नही करते तथा हर काम को रचनात्मक तरीके से पूर्ण करते हैं। विद्वानों के अनुसार इस नक्षत्र के जन्मे जातक सुंदर नेत्र वाला तथा आकर्षक देह का, शिष्ट ,मृदुभाषी,करुणाशील तथा नीति नियम को मानने वाला होता है।
कैरियर: इस नक्षत्र के जन्मे लोग सौंदर्य प्रसाधन,मंच संचालक,
व्यापारी,इंटीरियर डिजाइनर,वास्तुशास्त्री,शिल्पी, मैनेजर, उपन्यासकार ,पेंटर, चित्रकार,विज्ञापन,लेखक,शल्य चिकित्सक, वास्तु विशेषज्ञ आदि के क्षेत्र में कैरियर बनाकर सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
रोग: इस नक्षत्र में जन्मे जातकों को फोड़ फुंसी,पेट में गैस,
गठिया,मधुमेह आदि प्रकार के रोगों से जूझना पड़ सकता है।
उपाय: चित्रा नक्षत्र में जन्मे जातक को देवी दुर्गा की उपासना अत्यंत लाभकारी सिद्ध होती है। जीवन में यश, मान सम्मान, धन और पुत्र
प्राप्ति हेतु मां दुर्गा के सहस्रनामो का पाठ करना चाहिए। जीवन में कष्टों से मुक्ति हेतु नवार्ण मंत्र का जाप करना चाहिए। सफेद,हल्का हरा रंग का प्रयोग इनके लिए भाग्यशाली होता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित योगेश पौराणिक (इंजी)
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