मार्च का महीना फाल्गुन और चैत्र के परस्पर मिलन का महीना है।
फाल्गुन में जहां बसंत का आगमन और पेड़ों पर पतझड़ के बाद नए कपोलों की शुरुआत होती है वहीं चैत्र को हिंदू नव वर्ष और कटाई के बाद नई फसलों के आगमन के रूप में देखा जाता है। सूर्य का कुंभ से मीन राशि में प्रवेश भी इसी मार्च माह में होता है। प्रकृति के इन्ही सभी गुणों का प्रभाव मार्च माह में जन्मे जातकों के गुण और स्वभाव में देखने को मिलता है। मार्च माह में पैदा होने वाले जातको पर प्रमुख रूप से देवगुरु वृहस्पति जिनका कि मीन राशि पर प्रभुत्व होता है ! कुछ सीमा तक गुरु के अलावा नेपत्च्यून ग्रह का प्रभाव इस माह पैदा होने वाले जातकों में पाया जाता है ! इस महीने पैदा हुए जातकों पर शुक्र की महादशा शुभ फलदाई नही होती ! साथ ही मंगल सर्वाधिक फलदाई होता है ! मंगल की महादशा मार्च में पैदा होने वाले जातकों के लिए जीवन का स्वर्णिम काल होता है।
स्वभाव: यदि मार्च में पैदा होने वाले जातकों के लग्न में गुरु होता है , तो ये पीत वर्ण,बड़ी बड़ी आँखे,उन्नत ललाट,सुन्दर केश व दन्त छोटे छोटे व प्रथम मिलन में ही आकर्षित कर लेने वाला व्यक्तित्व होता है। स्वभाव से बड़े सरल व सहज होते है। मार्च माह में जन्मे जातक असाधारण रूप से मेधावी व श्रद्धालु भाव के होते है,लेकिन एक सबसे बड़ी कमी यह होती है की अपने लक्ष्य के प्रति लापरवाह होते है । अस्वाभाविक रूप से किसी मददगार या शत प्रतिशत अनुकूल हालत का इंतज़ार करने के आदि होते है ! मार्च में जन्मे जातक धार्मिक, वाद विवाद में प्रवीण,कर्म के बजाय भाग्य पर विश्वास करने वाले करते हैं।
कैरियर: मार्च में जन्मे जातक कला को अपने जीवन में बहुत महत्व देते हैं। इनकी प्रकृति कुछ ऐसी होती है की सहज ही लोग इनसे जुड़ना पसंद करते है। ये लेखन ,नाटक,कला आदि के क्षेत्र में रुचि रखते हैं। इनके जीवन में धन आगमन निरंतर होता है लेकिन टिकता नहीं। इसके अलावा मार्च माह में पैदा होने वाले लोग उच्च तकनीकी शिक्षा,बैंकिंग,चिकित्सा,सरकारी संस्थानों में विशेष रूप से सफलता प्राप्त करते हैं। इस माह में जन्मे जातक जिस क्षेत्र में जायेंगे उसमे प्रवीणता हासिल करेंगे।
नकारात्मक गुण: मार्च माह में जन्मे जातक किसी न किसी लत के शिकार होते हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं की कोई गलत ही लत हो। किंतु इस कारण उन्हें विशेष समारोह में विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा धर्म के प्रति अंध श्रद्धा भी इनके लिए नुकसान देह बन जाती है। क्रोध पर इन्हे संयम रखना अत्यंत आवश्यक है।
उपाय: यदि कुंडली में गुरु की स्थिति अच्छी है तो काफी दोष स्वतः समाप्त कर देते हैं। लेकिन अगर गुरु ठीक न हो तो जातक को गुरु वार का व्रत और भगवान विष्णु की उपासना करना चाहिए। इसके अलावा भाग्य वृद्धि हेतु भगवान सूर्य और बल बुद्धि के लिए हनुमान जी की उपासना लाभ कारी सिद्ध होती है। इनके लिए शुभ रंग पीला भाग्य में वृद्धि करता है।
ज्योतिषाचार्य पं योगेश पौराणिक (इंजी)
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