हमारे नक्षत्र मंडल का 11 वां नक्षत्र पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र है। जो एक पलंग के प्रथम सिरे या झूले वाले बिस्तर की तरह दिखाई देता है। इस नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता भग है जो कि धन व ऐश्वर्य के देवता माने जाते हैं तथा नक्षत्र स्वामी शुक्र है। पूर्वा फाल्गुनी शब्द का अर्थ है पहले आने वाला या चारपाई के पहले दो पांव।
स्वभाव: पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे जातक बड़ी सुंदर आंखो वाले,यशस्वी,गुणी,धनी,भाग्यशाली,नैतिक,ईमानदार तथा शांत स्वभाव के होते हैं। आचार्य वराहमिहिर के अनुसार इस नक्षत्र में जन्मे लोगो में शुक्र का प्रभाव देखने को मिलता है यहीं कारण हैं कि जातक आकर्षण शक्ति संपन्न,बहुमुखी प्रतिभा वाला,धार्मिक, बुद्धिमान,उग्र,विलासी स्त्रियों का प्रिय तथा साहसी होता है।
कैरियर: पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे जातक संगीतकार,अभिनेता,
धर्मगुरु,शादी विवाह प्रबंधक,यात्रा प्रबंधक,अध्यापक,काउंसलर,
वकील,एक्टिंग,फिल्म डायरेक्टर,इंजीनियर,ज्योतिष,मोटीवेटर आदि में कैरियर बनाकर सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
रोग: इस नक्षत्र में जन्मे लोगो को शुगर,वात से संबंधित रोग,पेट और पीठ के रोग आदि हो सकते हैं।
उपाय: पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे जातको को भगवान सूर्य की आराधना अत्यंत लाभकारी सिद्ध होती है। यदि प्रत्येक रविवार सूर्य नमस्कार तथा आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें तो सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा गाय तथा गुरु की सेवा से भाग्य बलवान होता है। जीवन में उन्नति के लिए इन्हें पलाश का वृक्षारोपण करना चाहिए। हल्का बादामी,पीला,केसरिया तथा सफेद रंग का उपयोग इनके लिए भाग्य वृद्धि करने वाला होता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित योगेश पौराणिक (इंजी)
0 Comments