हमारे नक्षत्र मंडल का आखरी नक्षत्र रेवती है। यह 32 तारों का समूह है जो मृदंग की आकृति के समान दिखाई देता है। रेवती नक्षत्र का योग तारा मंद कांतिवृत के समीप होने से धुंधला दिखाई देता है। रेवती शब्द का अर्थ है धनाढ्य या प्रतिष्ठित। अष्ट लक्ष्मी में जो योग लक्ष्मी है उनका संबंध रेवती नक्षत्र से ही है। रेवती नक्षत्र के नक्षत्रपति बुध ग्रह तथा अधिपति देवता पूषा(पोषण करने वाला) है। रेवती एक सात्विक नक्षत्र है । तीसरे तृतीयांश का अंतिम नक्षत्र होने के कारण रेवती को गंड मूल संज्ञक नक्षत्र माना गया है।
स्वभाव: रेवती नक्षत्र में जन्मा जातक दृढ निश्चयी, आस्थावान,धैर्य
धारण करने वाला,उत्साही,आशावान, सद्गुणी,परिश्रमी,अतिभावुक,
सौम्य,विनम्र,मिलनसार तथा संवेदनशील होता है। विद्वानों ने इस नक्षत्र के जन्मे जातक को पुष्ट देह वाला,शूरवीर,धनी तथा भाग्यशाली बतलाया है।
कैरियर: रेवती नक्षत्र में जन्मे जातक कलाकार,अभिनेता, चित्रकार,
बस सेवा,वायु सेना,ज्योतिषी,कथावाचक,प्रबंधक,सड़क निर्माण अधिकारी,जल सेना,जल व्यापार,ड्राइवर,सुरक्षा कर्मी,पुलिस,सेना,
रत्न व्यापारी आदि के क्षेत्र में कैरियर बनाकर सफलता प्राप्त करते है।
रोग: रेवती नक्षत्र में जन्मे जातकों को जुखाम,सर्दी,खांसी,छाती से सम्बन्धित रोग,वायरल फीवर,जोड़ो में दर्द, वात पीड़ा,मतिभ्रम, बहरापन आदि रोगों से जूझना पड़ सकता है।
उपाय: रेवती नक्षत्र में जन्मे लोगो को सभी प्रकार के अनिष्टों से मुक्ति हेतु भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए तथा गुरुवार का वृहस्पति देव का व्रत करना इन्हे सर्वथा लाभकरी सिद्ध होता है। ऐं बीज मंत्र का जाप करना इनके लिए कल्याणकारी होता है। आसमानी नीला तथा हल्का पीला रंग इनके लिए भाग्यशाली सिद्ध होता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित योगेश पौराणिक (इंजी)
0 Comments