भरणी नक्षत्र में जन्मे जातक का स्वभाव, कैरियर, रोग और उपाय

भरणी नक्षत्र में जन्मे जातक का स्वभाव, कैरियर, रोग और उपाय :


आकाश में भरणी नक्षत्र तीन तारों से बना एक त्रिकोण,जो कि स्त्री के प्रजनन अंग यानी योनि मंडल का प्रतीक के रूप में जान पड़ता है। कदाचित यह योनि सरीखे रूप वाला भरणी नक्षत्र विभिन्न लोको के आवागमन का प्रवेश द्वार जान पड़ता है। भरणी शब्द भरण पोषण से प्रयुक्त होता है। गर्भ धारण कर उसका भरण पोषण करना तथा सृष्टि बढ़ाने में सहयोग भरणी का कार्य जान पड़ता है। जन्म,मृत्य व पुनः उत्पत्ति का कारकत्व भरणी नक्षत्र के पास है । यहीं कारण है कि मृत्य के स्वामी यमराज को ही भरणी नक्षत्र का देवता माना गया है।

स्वभाव : भरणी नक्षत्र में जन्मे जातक का स्वभाव सृजनात्मक प्रवृति का होता है । इनके नेत्र बड़े और काफी आकर्षक होते हैं। मनमोहक स्वरूप लिए भरणी के जातक अति उत्साही व ऊर्जावान होते है। यह ऊपर से काफी शांत लेकिन अंदर से लगातार विचारशील बने रहते है। इस नक्षत्र के जातक जिज्ञासु,सीखने की इच्छुक और दूसरो की सहायता के लिए सदैव तत्पर होते हैं।
भरणी नक्षत्र को स्त्री नक्षत्र माना गया है इसलिए इस नक्षत्र में जन्मे प्रायः सभी व्यक्तियों में ममता स्पष्ट रूप से देखने को मिलती है ।
भगवान राम के गुरु महर्षि वसिष्ठ से भरणी का संबंध है वसिष्ठ का अर्थ है धनी संपन्न यहीं कारण है कि इस नक्षत्र का जातक बहुधा धनी व संपन्न व्यक्ति होता है। 

कैरियर: भरणी नक्षत्र का स्वामी शुक्र होने से, मनोरंजन से जुड़े सभी कार्य, सिनेमा, मॉडलिंग तथा रूप व सौंदर्य से जुड़े व्यवसाय काफी लाभप्रद होते हैं। इसके अलावा गोपनीय विभाग, माइनिंग, खाद व बीज का उद्योग, अग्निशमन अधिकारी,चाय, तंबाकू से जुड़े कार्य,शिशु पालन केंद्र,खिलौना उद्योग और फोटोग्राफी इत्यादि में सफलता प्राप्त करते हैं।

रोग: भरणी नक्षत्र के जातक को सिर ,पैर तथा त्वचा संबंधित रोग अक्सर परेशान करते हैं। 

उपाय: भरणी नक्षत्र में जन्मे लोगो को दुःख निवारण व सफलता प्राप्ति हेतु ॐ हीं मंत्र का जाप एक माला करना चाहिए । इसके अलावा मां काली की उपासना अत्यंत लाभ कारी होती है।
भाग्य वृद्धि के लिए लाल , सफेद और काले रंग के वस्त्रों का उपयोग करें।

ज्योतिषाचार्य पंडित योगेश पौराणिक(इंजी.)

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