आर्द्रा नक्षत्र में जन्मे जातक का स्वभाव, कैरियर, रोग और उपाय:

आर्द्रा नक्षत्र में जन्मे जातक का स्वभाव, कैरियर, रोग और उपाय:
आकाश में हीरे की तरह चमकदार आर्द्रा नक्षत्र हमारे नक्षत्र मंडल के 27 नक्षत्रों में अपना छठा स्थान रखता है। आर्द्रा का अर्थ नमी होता है। इस नक्षत्र के देवता भगवान रुद्र तथा नक्षत्रपति राहु को माना गया है। आर्द्रा नक्षत्र में भगवान रुद्र का वास है, यही कारण है कि आर्द्रा नक्षत्र को परिवर्तन,विनाश और निरंतर प्रयास का कारक माना जाता है। इस नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह हीरा या आंसू की बूंद है। महर्षि पुलह जो कि उत्कृष्ट, विद्वान तथा शुभचिंतक है वे इस नक्षत्र से संबंध रखते हैं।

स्वभाव : आर्द्रा नक्षत्र में जन्मे जातक के स्वभाव में राहु ,बुध तथा भगवान रुद्र के गुणों की झलक देखने को मिलती है। इस नक्षत्र में जन्मे जातक बुद्धिमान,जिम्मेदार,विनोदी,चंचल स्वभाव के होते हैं। इसके अलावा इनमे किसी भी परस्थिति को पहले से ही भांप लेने की क्षमता होती हैं। आचार्य वराहामिहिर के अनुसार इस नक्षत्र में जन्मे जातक जिज्ञासु, कर्मठ,उत्साही किंतु कुछ हिंसक,धूर्त व अहंकारी प्रवृत्ति के होते हैं।

कैरियर : आर्द्रा नक्षत्र में जन्मे लोग सामाजिक कार्यकर्ता, कंप्यूटर इंजीनियर, न्यूरोलॉजिस्ट,परिवहन,संचार विभागों, इलेक्ट्रिकल इंजीनियर,फोटोग्राफर,मस्तिष्क रोग विशेषज्ञ,गुप्तचर,न्यूक्लियर वैज्ञानिक,भौतिक शास्त्री,डिटेक्टिव,लेखक,उपन्यासकार, ट्रांसलेटर,शतरंज आदि को अपने कैरियर के रूप में चुनाव करके सफलता प्राप्त कर सकते है।

रोग: आर्द्रा नक्षत्र में जन्मे लोग वायु संबंधित विकारों से परेशान होते हैं। इन्हे श्वास से संबंधित रोग, सूखी खांसी,डिप्थेरिया तथा रक्त से संबंधित रोगों से जूझना पढ़ सकता है।

उपाय: आर्द्रा नक्षत्र में जन्मे जातक को जीवन में सफलता प्राप्ति और सौभाग्य में वृद्धि हेतु भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र 
“ॐ नमः शिवाय” का जप प्रतिदिन रुद्राक्ष की माला से एक माला करना चाहिए। इसके अलावा सोमवार का व्रत करने से जीवन में सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इनके लिए शुभ रंग लाल,ग्रे तथा हरा होता है। 

ज्योतिषाचार्य पंडित योगेश पौराणिक(इंजी.)





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