कृतिका नक्षत्र में जन्मे जातक का स्वभाव, कैरियर, रोग और उपाय :

कृतिका नक्षत्र में जन्मे जातक का स्वभाव, कैरियर, रोग और उपाय :


हमारे नक्षत्र मंडल में कृतिका नक्षत्र को सौर ऊर्जा का मूल स्त्रोत माना गया है। सात तारों के इस समूह को हमारे वैदिक ऋषियों ने गले का हार की संज्ञा दी है। कृतिका शब्द का अर्थ है कार्य सिद्ध करने वाली महिला , जिसमे कृत का अर्थ है क्रियान्वित या निर्मित । कृतिका नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह कुल्हाड़ी है , इसके अलावा भगवान कार्तिकेय के वाहन मोर को भी कृतिका नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह के रूप में माना जाता है। भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय जी का लालन-पालन कृतिकाओं के द्वारा ही हुआ था। इस कारण इस नक्षत्र के अधिदेवता भगवान कार्तिकेय जी है। जो कि देवताओं के सेनापति हैं। ग्रह परिषद के राजा भगवान सूर्य को इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह माना जाता है। 


 स्वभाव : वराहमिहिर के अनुसार कृतिका नक्षत्र में जन्मे जातक काफी ऊर्जावान,साहसी,यशस्वी, पराक्रमी तथा न्यायप्रिय होते है। किसी भी क्रिया के परिणाम का विश्लेषण कर उनमें छिपे दोष को ढूंढ निकालने में काफी सक्षम होते है। इस नक्षत्र के जातक सौम्य, शिष्ट व मर्यादित आचरण करने वाले होते हैं। अपनी इच्छा शक्ति , स्वावलंबी स्वभाव व स्नेहपूर्ण सहयोग से लोगो को लक्ष्य तक पहुंचने की प्रेरणा देते हैं।


कैरियर: कृतिका नक्षत्र में जन्मे जातक सफल व्यापारी,वकील, न्यायाधीश,शिक्षक,समीक्षक,अध्यक्ष,आपदा प्रबंधक अधिकारी, निशानेबाजी,आध्यात्मिक गुरु व उपदेशक, लुहार, सभी प्रकार के अग्नि संबंधित कार्य, मशीनरी आदि कार्यों में सफल होते हैं।


रोग: इस नक्षत्र के जातकों को दांतो व हड्डियों से संबंधित रोग, मलेरिया, मस्तिष्क ज्वर,गैस्ट्रिक व पित्त संबधी समस्या होती है।


उपाय: कृतिका नक्षत्र में जन्मे लोगों के लिए भगवान कार्तिकेय तथा हनुमान जी की उपासना काफी लाभकारी सिद्ध होती है। इसके अलावा गायत्री मंत्र जप तथा सूर्य स्तवन से अनिष्ट प्रभाव दूर करने में उपयोगी पाया गया है। इस नक्षत्र के जातकों के लिए लाल, पीले तथा केसरिया रंग के वस्त्र लाभकारी होते हैं।


ज्योतिषाचार्य पंडित योगेश पौराणिक(इंजी.)




Post a Comment

0 Comments