मृगशिरा नक्षत्र में जन्मे जातक का स्वभाव, कैरियर, रोग और उपाय:

मृगशिरा नक्षत्र में जन्मे जातक का स्वभाव, कैरियर, रोग और उपाय:
आकाश के नक्षत्र मंडल में हिरण के सिर के आकार में दिखने वाला मृगशिरा नक्षत्र सभी 27 नक्षत्रों में अपना पांचवा स्थान रखता है। मृगशिरा शब्द का तात्पर्य हिरण के सिर से है। इस नक्षत्र के देवता चंद्रमा तथा नक्षत्र स्वामी मंगल हैं। मृगशिरा नक्षत्र का संबंध माता पार्वती से भी है। ऐसा माना जाता है कि माता पार्वती का जन्म मृगशिरा नक्षत्र में ही हुआ था। इसी कारण इसे मां पार्वती का वास स्थान भी माना गया है। इस नक्षत्र को महर्षि पुलस्त्य का वंशज भी माना जाता है।

स्वभाव : मृगशिरा नक्षत्र में जन्मे जातक आध्यात्मिक,सौम्य,
हंसमुख, मिलनसार, विनम्र,शिष्ट तथा जिज्ञासु प्रवृति के होते हैं । 
श्री वराहमिहिर के अनुसार इस नक्षत्र में जन्मा जातक धनी, बुद्धिमान, चंचल,हठी,चतुर,भोगविलास प्रिय तथा उत्साही होता है। 

कैरियर : मृगशिरा नक्षत्र में जन्मा जातक प्रसिद्ध गायक,कवि संगीतज्ञ,लेखक तथा उपन्यासकार होता है। इसके अलावा ठेकेदारी,रिसर्च के क्षेत्र में,वैज्ञानिक,क्लर्क,खगोलशास्त्री,व्यापार प्रबंधक, संवाददाता,पशुपालन और कृषि आदि के कैरियर का चुनाव करके सफलता प्राप्त करता है।

रोग : मृगशिरा नक्षत्र में जन्मे जातकों को पित सम्बन्धित रोग इसके अलावा जुखाम, खांसी, गुप्तरोग,कब्ज,मुहांसा,खुजली,कमर दर्द तथा कंधों में दर्द इत्यादि समस्याएं हो सकती है।

उपाय: मृगशिरा का संबंध मां पार्वती से है इसलिए इस नक्षत्र में जन्मे जातकों के लिए मां पार्वती की उपासना अत्यंत लाभप्रद होती है। खैर का वृक्षारोपण करने से जीवन में उन्नति, धन लाभ तथा मानसमान में वृद्धि होती है। इस नक्षत्र के जातकों को भाग्य वृद्धि हेतु लाल,सफेद,गुलाबी तथा हल्के हरे रंग का प्रयोग करना चाहिए।

ज्योतिषाचार्य पंडित योगेश पौराणिक(इंजी.)



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