रोहिणी नक्षत्र में जन्मे जातक का स्वभाव, कैरियर, रोग और उपाय

रोहिणी नक्षत्र में जन्मे जातक का स्वभाव, कैरियर, रोग और उपाय :

रोहिणी हमारे नक्षत्र मंडल में एक लाल रंग का बहुत चमकीला तारा है। जिसे चंद्रमा की अमृत शक्ति का बीज माना जाता है। तथा प्राचीन ऋषियों द्वारा रोहिणी नक्षत्र में ही प्रजापति ब्रह्माजी का वास माना गया है। रोहिणी में “रोह“ का अर्थ वृद्धि,विकास होता है ,वहीं रोहण शब्द का प्रयोग सवारी करने के लिए किया जाता है। रोहिणी प्रजापति दक्ष की कन्या तथा चंद्रमा की अत्यंत प्रिय संगनी है। इस कारण रोहिणी नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा तथा राशि स्वामी शुक्र को माना गया है। इस नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह बैलगाड़ी तथा अधिदेवता ब्रह्माजी हैं।


स्वभाव : रोहिणी नक्षत्र में ही भगवान कृष्ण का जन्म हुआ है यहीं कारण है कि इस नक्षत्र में जन्मे जातक के स्वभाव में भी उनके गुण पाए जाते है। रोहिणी नक्षत्र में जन्मे जातक बहुत सुंदर ,आकर्षक, स्थिर बुद्धि, वार्ताकुशल, विद्वान, कला प्रेमी, सामाजिक,विचारशील, कुशल नेतृत्व वाले तथा धन संचय में सिद्धहस्त होते हैं।


कैरियर: रोहिणी नक्षत्र में जन्मे जातक को फिल्म, नाटक, संगीत, मनोरंजन, कला के क्षेत्र में,फैशन डिजाइन,बैंक अधिकारी, राजनीति, होटल, रेस्टोरेंट, हीरे,जवाहरात से जुड़े कार्यों में,पर्यटन विभाग,परिवहन विभाग, वस्त्र उद्योग, प्रेरक, बागवानी, कृषि, मॉल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स इत्यादि में सफलता प्राप्त करता है।


रोग: इस नक्षत्र में जन्मे जातको को प्रायः रक्त से जुड़ी समस्या,पीलिया, मूत्र संबंधी विकार, जलोदर आदि रोग उत्पन्न होते हैं।


उपाय: रोहिणी नक्षत्र में जन्मे लोगों के लिए गाय की सेवा सर्वोत्तम मानी गई है तथा जीवन में उन्नति हेतु जामुन का वृक्षारोपण करें। इसके अलावा सभी प्रकार के अनिष्टों से मुक्ति हेतु ॐ ऋं बीज मंत्र की एक माला जाप करना चाहिए। लाल, सफेद तथा हल्का पीला रंग इनके लिए शुभकारी होता है।


ज्योतिषाचार्य पंडित योगेश पौरा

णिक(इंजी.)


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