अश्वनी नक्षत्र में जन्मे जातक का स्वभाव, कैरियर, रोग और उपाय :

अश्वनी नक्षत्र में जन्मे जातक का स्वभाव, कैरियर, रोग और उपाय :

अश्वनी नक्षत्र, आकाश में तारामंडल का आरंभिक बिंदु होने से यह सभी कार्यों के आरंभ को दर्शाता है। अश्वनी का शाब्दिक अर्थ अश्वी अर्थात घोड़े की पत्नी घोड़ी से है। अश्वनी का प्रतीक चिन्ह घोड़े का सिर है जो कि आरंभ को दर्शाता है तथा नक्षत्रपति केतु ग्रह को माना गया है। सूर्य पुत्र अश्वनी कुमार इस नक्षत्र के स्वामी देवता है जो कि सत्यनिष्ठ, वैधक और शास्त्र के ज्ञाता है। इसके अलावा अश्वनी नक्षत्र का संबंध विघ्नहर्ता , मंगलकर्ता भगवान श्री गणेश जी से भी है क्योंकि सभी कार्यों का आरंभ इन्ही की पूजा से होता है।

स्वभाव : अश्वनी नक्षत्र में जन्मे जातक के स्वभाव में प्रायः तेजी , फुर्ती , शीघ्रता स्पष्ट देखने को मिलती है । यह जिंदादिल, खुशमिजाज , स्पष्टवादी तथा बिना समय नष्ट किए काम करने में विश्वास रखते हैं। किसी भी बात को शीघ्र समझ कर ,सही निर्णय लेने की इनमे अदभुत क्षमता होती है। वे दिखने में गठीले, आकर्षक, पुष्ठ देह के स्वामी होते हैं । बहुत समय तक युवा बने रहने की अद्भुत क्षमता अश्वनी नक्षत्र की विशेषता है। श्री वाराहमिहिर के अनुसार अश्वनी नक्षत्र के जातक बुद्धिमान, व्यवहार कुशल , सजने संवरने के बहुत शौकीन होते है। 

कैरियर : अश्वनी नक्षत्र में जन्मे जातक अक्सर साहस और शौर्य तथा जोखिम भरे कार्यों में सफल देखे गए हैं। वैज्ञानिक,खिलाड़ी, सेना नायक, पुलिस विभाग, यांत्रिक अभियंता, फार्मिस्ट, रिपरिंग का काम,स्वर्ण आभूषण निर्माता, कार रेस, नृत्य एवं परिवहन उद्योगों में सफलता प्राप्त करते हैं।

रोग: सभी प्रकार के वात रोग तथा शरीर में अत्यधिक चोट लगने से अश्वनी नक्षत्र में जन्मे जातक प्रभावित होते हैं।

उपाय : अश्वनी नक्षत्र में जन्मे जातक जब कभी जीवन में कष्टों का अनुभव करें तब उन्हे भगवान गणेश के मंत्र ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करना लाभ कारी होता है । इसके अलावा जब भी अश्वनी नक्षत्र में चंद्रमा का गोचर हो उस दिन एक माला ॐ ऐं बीज मंत्र जप करने से जीवन के सभी कार्यों में सफलता प्राप्त की जा सकती है। भगवान गणेश तथा हनुमान जी की आराधना अश्वनी नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति के लिए विशेष सिद्धिदायक होती है।
  
 पंडित योगेश पौराणिक(ज्योतिषाचार्य)
   



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